जब कुंडली में शनि और चंद्र एक राशि में होते है तो उसे विष योग कहते हैं! विष योग मनमें विष घोलने का काम करता है! चंद्र को १२ राशि की परिक्रमा करते २७ दिन लगते है! यानि हर २७ दिन के बाद विष योग कुंडली में उत्पन्न होता है! सामान्य स्थिति में विष योग जीवन को दुखो से भर देता है! पर कई ऐसे लोग भी है जो विष योग होने पर भी जीवनमें प्रगति करते है! विष योग को नितृभासा योग और शनि-चंद्र योग भी कहा जाता है!
विष योग का नाम सुनते ही कई लोगो के रोमटे खड़े हो जाते है! अगर शनि और चंद्र के बीच १२ डिग्री से कम अंतर हुआ तो समज लो आपको नर्क की यातना पृथ्वी पर ही सहन करनी पड़ेगी! कुंडली में विष योग होना काला पानी की सजा से कम नहीं है! जो कठिनाई और तकलीफ विष योग में जन्मे इंसान को सहन करनी पड़ती है वो अकल्पनीय है! कई बार मन ही राई का पहाड़ बना देता है! पर फिर भी ज्यादातर विष योग में जन्मे लोग पूरी जिंदगी परेशानियों से घेरे रहते है!
पर ज्योतिषी शास्त्र में कई विरोधाभास देखने को मिल जाते है! कई लोग विष योग होने के बावजूद भी संसार में नाम और दाम कमा पाते है! पर ज्यादातर लोग विष योग के प्रभाव के निचे मानो दब से जाते है!
विष योग को समझना है तो जो दो ग्रह विष योग का निर्माण करते है उन्हें समझना होगा! चंद्र मन का करक ग्रह है! शनि के ऊपर कई तरह के विषैले पदार्थ होते है! जब शनि चंद्र के साथ एक राशि में होता है तो मन में नकारात्मक और बुरे विचार बढ़ जाते है! शनि मन को नकारात्मक विचारो से विषैला बना देता है! इसलिए इसे विष योग कहते है! शनि भय, दरिद्रता और नकारात्मकता का कारक है! चंद्र सुध भाव, माता, प्यार और आश्रय का कारक है! दोनों ग्रह एक दुसरे से विपरीत है! जब दो विपरीत ग्रह कुंडली में मिलेंगे तो विचारधारा का टकराव अवस्य होगा! मन मंथन करने में से बहार नहीं आ सकता! विष योग के नकारात्मक विचार द्वारा डिप्रेशन और एंग्जायटी जैसे भयानक रोग मन को पीड़ित करते है!
विष योग वाले कई बार इतने भयभीत हो जाते है के वो किसी पे भरोसा नहीं कर सकते! विष योग में जन्मा इंसान मन से थका हारा होता है और शरीर से दुर्बल! विष योग में जन्मे कई लोग आत्माहत्या का प्रयत्न भी करते है!
शनि एक क्रूर ग्रह है! शनि जब मन के कारक चंद्र के साथ होता है तो मन एकदम निर्दय और क्रूर बन जाता है! कई तानाशाह की कुंडलीमें विष योग का प्रभाव देखने को मिलता है! विष योग में जन्मे व्यक्ति कई बार दूसरो को ठेस पहुंचाने से जरा भी हिचकते नहीं! जब मंगल का प्रभाव हो विष योग के स्थान पे तो बात ज्यादा बिगड़ती है! राहु या केतू का प्रभाव होने पर भी विष योग की बुरी असर बढ़ जाती है! अगर गुरु की पावन दृष्टि पड़े तो विष योग का प्रभाव कम हो सकता है!
जब चंद्र शनि और राहु या केतू के साथ हो तो पूर्व जन्म में व्यक्ति ने कोई बहोत बड़ा पाप किया था वैसा दर्शाता है!
अगर आपकी कुंडली में विष योग है तो शनि या चंद्र दोनों में से एक ग्रह के गुणों का अनुसरण करे! अगर विष योग चंद्र की राशिमें या गुरु की राशिमें हो तो आप सद्भावना, प्यार और दूसरो की देखभाल का रास्ता चुने जो चंद्र के गुण है! अगर विष योग दूसरी कोई राशि में होता है तोह कर्त्तव्य और उत्तरदायित्व का राश्ता चुने जो शनि को पसंद है!
कुछ भी हो विष योगके रहते आपको कठोर प्रयास करने होगे! विष योग के रहते कुछ भी आसान नहीं हो सकता जीवनमें! विष योग मन में विचारो की आंधी और तूफ़ान लाता है! इस आंधी और तूफ़ान को जेलते रहना होगा और अङ्ग प्रयास करने होगे तभी सफलता मिल पायेगी विष योग में जन्मे इंसान को!
भगवान् शिवजी की पूजा के बिना विष योग का निवारण संभव नहीं! भगवन शिवजी ही है जो विष का पान कर सकते है! ॐ नमः शिवाय का महामंत्र ही विष योग जातक जी जिंदगी में अमृत का काम करता है! इसके इलावा और कोई प्रकार की पूजा या विधि की जरूरत नहीं! भगवन शिवजी का नाम और कर्त्तव्य कर्म करते रहने से ही विष योग का निवारण हो सकता है!
कृपया अन्य विधि और पूजा के झांसे में न फसे! विष योग पितृ दोष का एक रूप है!
विष योग के रहते आसान जीवन संभव नहीं है! पर विपदा में भी जो कर्त्तव्य कर्म का निर्वाह करते है उन्हें ही सफलता मिलती है! विष योग पूर्व जन्म में किये गए पापो का बुरा फल अवस्य देगी! और व्यक्ति को डिप्रेशन, निष्फलता, हार और कठिनाई का सामना करना ही होगा! पर प्रकृति का नियम है की रात के बाद दिन भी आता है! विष योग का बुरे प्रभाव के रहते किये गए अच्छे कर्म आगे जा के अवस्य अच्छे फल देते है!
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